कांटे तो नसीब में आने ही थे ।
फूल जो हमने गुलाब का चुना था ।
क्या किसी से उसका हाल पूछें,
नाम भी तो लिया नहीं जाता।” 😊
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
जिस की आँखों में कटी थीं
सदियाँ उस ने सदियों की जुदाई दी है
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता