न जिद है न कोई गुरूर है हमे,बस तुम्हे पाने का सुरूर है हमे,इश्क गुनाह है तो गलती की हमने,सजा जो भी हो मंजूर है हमे…
चाहा तुमको बस यही है हमारी भूल।
कांटे निकले उसमें, जिसे समझा कमल का फूल।।
कांटे समझ रहे थे हमारा है दबदबा…
शाखें झुकी हुई थीं फूलों के बोझ से
दिल का दीपक कुछ ऐसे जल जाये,पत्थर में भी मोह्हबत उतर आये
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद