कागज की कस्ती बना कर,
बहा देते है, ना जाने कौन सी मंजिल
के लिए, समंदर में छोड़ देते है,
कांटे समझ रहे थे हमारा है दबदबा…
शाखें झुकी हुई थीं फूलों के बोझ से
ये दिल जिंदगी से खफा हो चला था,इसे फिर से जीने के बहाने तुम बने!
ये दिल जिंदगी से खफा हो चला था,
इसे फिर से जीने के बहाने तुम बने!
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद
मेरी तन्हाई का जो क़िस्सा है,
उसमें चाय का एक अहम हिस्सा हैं.
तुम लौट कर आने की तकलीफ मत करना,
हम एक मोहब्बत दो बार नहीं करते !