लिखूँ जो काग़ज़ पे तो लफ़्ज़-लफ़्ज़ थरथराए…
कि तेरी धड़कन रहे मेरी हथेलियों के है दरमियाँ!
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
रात भी नींद भी
कहानी भी
हाए क्या चीज़ है
जवानी भी
हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
तुम लौट कर आने की तकलीफ मत करना,
हम एक मोहब्बत दो बार नहीं करते !
प्यार का इजहार नही किया जाता,
इकरार किये बगैर जो दिल को छू जाये,
वो ही तो प्यार है!!