लिखूँ जो काग़ज़ पे तो लफ़्ज़-लफ़्ज़ थरथराए…
कि तेरी धड़कन रहे मेरी हथेलियों के है दरमियाँ!
हर किसी को मंजिल मिलती नहीं प्यार में।कांटे मिलते है अक्सर फूलों के हार में।।
मैं एक बेक़सूर वारदात की तरह जहाँ की तहाँ रही,तुम गवाहों के बयानो की तरह बदलते चले गए।
मैं एक बेक़सूर वारदात की तरह जहाँ की तहाँ रही,
तुम गवाहों के बयानो की तरह बदलते चले गए।
मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था
इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते
हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा