आज जो इस अकेलेपन का एहसास हुआ खुद को,तो समहाल नहीं पाया अपने इन आसुओं को।
आज जो इस अकेलेपन का एहसास हुआ खुद को,
तो समहाल नहीं पाया अपने इन आसुओं को।
एक चाहत होती है,अपनों के साथ जीने की,वरना पता तो हमें भी है,कि मरना अकेले ही है,मित्रता एवं रिश्तेदारी ‘सम्मान’ की नही ”भाव” की भूखी होती है,बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,दिमाग से नही।
एक चाहत होती है,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है,
कि मरना अकेले ही है,
मित्रता एवं रिश्तेदारी ‘सम्मान’ की नही ”भाव” की भूखी होती है,
बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,
दिमाग से नही।
हर रोज़ तुझसे मिलने के बाद भी,
हर रोज़ तुझसे मिलने का इंतज़ार करता हूँ।
विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए,
क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता