वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता
मेरी सादगी ही गुमनामी में रखती है मुझे,
जरा सा बिगड़ जाऊं तो मशहूर हो जाऊं।
हर किसी के नसीब में
कहां लिखी होती है चाहतें
कुछ लोग दुनिया में आते है सिर्फ
तन्हाइयो के लिए
ना साथ है किसी का ना सहारा है कोईना हम किसी के ना हमारा है कोई
दोस्तीचलो आज फिर उसी बचपन में लौट चलेबैठे फिर से उसी बूढ़े पीपल की छांव तले|
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ …. कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत।