ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
बचपन की जवानी....
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..
ना जाने क्यों तुझे देखने के
बाद भी,
तुझे ही देखने की चाहत रहती है..!!
Mile ho tum humko
Bade naseebon se
Churaya hai maine
Kismat ki lakeeron se.
वो छोड़ के गए हमें,न जाने उनकी क्या मजबूरी थी,खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं,ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी..
तोड़ कर जोड़ लो चाहे हर चीज दुनिया की...सब कुछ काबिल-ए-मरम्मत है...ऐतबार के सिवा...!!!