साहित्य प्रेमी दूल्हा- आज से ही तुम मेरी कविता हो, भावना हो, कामना हो|दुल्हन - मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे दिनेश हो, सुरेश हो, राकेश हो|
बड़ी बेवफा हो जाती है ग़ालिब ये घडी भी सर्दियों में,5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है...
जिनको हम चुनते हैं…वो ही हमें धुनते हैं…चाहे बीवी हो या नेता…दोनो कहाँ सुनते हैं..