Mere Palko Me Bhare Aansu
Unhe Paani Sa Lagta Hai
Hamara Tut Kar Chahna Unhe
Naadani Sa Lagta Hai...
मेरे हिस्से की ज़मीन बंजर थी, मैं वाकिफ ना थाबे-सबब इलज़ाम मैं देता रहा बरसात को..
अजीब खेल है ये मोहब्बत का,किसी को हम न मिले|और कोई हमे न मिला|
वो रो रो कर कहती रही मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है, की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई क्यों …