वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता
किसी की याद से इस उम्र में दिल की मुलाक़ातें
ठिठुरती शाम में इक धूप का कोना ज़रूरी है
चाँद अब जमीन पर उतरने को हैं,
दिसंबर का महीना जा रहा हैं, जनवरी परवान चढ़ने को हैं.
मुझे यकीन हैं तुम आओगी आसमान से कोहरा छट रहा हैं,सूरज अभी छत पर चढ़ने को हैं.
गुड मॉर्निंग शायरी गर्लफ्रेंड