आधे तेरी याद के, आधे फरियाद के,
लम्हे जितने गुज़रे सारे बर्बाद थे…
दास्तान मेरे लाड – प्यार की बस
एक हस्ती के इर्द – गिर्द घुमती है
यूं ज़ुल्फें खोल कर न रखा कर मेरी जान,
उलझ सा जाता हूँ इनमें जब भी देखता हूँ !!
बहुत चालाकी से तेरे गालों को चूम लेती हैं;
इन ज़ुल्फ़ों को भी तूने सिर पर चढ़ा रखा हैं !!
ये जो मैं हूँ.. कुछ नहीं हूँ.. बस तेरी नज़र का कमाल है lमैं कब सच्चा हूँ, कब झूठा हूँ.. ये मेरे लिए भी सवाल है l
क्या माँगू खुदा से तुझे,या तेरी परेशानियाँ माँगू lअब झुके सर सजदा को,रब से तेरी खुशियाँ माँगू l