नाम नहीं लूंगा पर सुनो
याद बहुत आती है तुम्हारी
सब सही करके भी गलत हूँ मैं
ये कैसी तेरी फरियादें हैं
मैंने दिल का कमरा जला दिया
यहाँ फिर भी तेरी यादें हैं
यहाँ सब खामोश हैं कोई आवाज़ नहीं करता,
सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता।
ओझिल जो हुआ , वो एक पल के लिएभरी महफ़िल में, मैं अकेला हुआ lबात कुछ भी, किसी से हुई,मन तलाशता हर ओर, ऐसा मेला हुआ l
कितना जगमगाओगे आसमान ऐ खुदाअब धरती के सितारे ख़त्म हो गए है