लिखूँ जो काग़ज़ पे तो लफ़्ज़-लफ़्ज़ थरथराए…
कि तेरी धड़कन रहे मेरी हथेलियों के है दरमियाँ!
हर किसी को मंजिल मिलती नहीं प्यार में।कांटे मिलते है अक्सर फूलों के हार में।।
चाहा तुमको बस यही है हमारी भूल।
कांटे निकले उसमें, जिसे समझा कमल का फूल।।
ना किया कर अपने दर्द को शायरी में ब्यान ऐ नादान दिल,
कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर।
जो लोग ये समझ नहीं पाते कि औरत क्या चीज़ है,उन्हें पहले ये समझने की जरूरत है कि"औरत कोई चीज़ नहीं है"।
आदतन तुमने कर दीए वादे,
आदतन हमने एतबार किया…
तेरी राहों में बारहाँ रुक कर,
हमने अपना ही इंतज़ार किया…
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब,
यह गुनाह हमने जो एक बार किया…!!