बार बार बिखरती है सवारती ही नहीं ....
तेरी ज़ुल्फें शायद मेरी उंगलियों का सहारा चाहती है I
चाँद से रौशन जैसी तेरे चेहरे
को देख के मैं सुलझ जाऊ,
एक दफ़ा तु लगा ले गले मुझे,
दिल चाहता है की तेरे ज़ुल्फ़ों मे उलझ जाऊ!!
यूं ज़ुल्फें खोल कर न रखा कर मेरी जान,
उलझ सा जाता हूँ इनमें जब भी देखता हूँ !!
उन्होंने ज़ुल्फें क्या झटकी अपनी,
सारे शहर में बारिश हो गई!!